Friday, November 4, 2011
KBC 5 winner Sushil Kumar wants to become an IAS officer
Sushil Kumar hails from Motihari, which is about 150 km from Patna. He has been watching KBC for the past 11 years and he says he used to get the right answers most of the time. He got a call on October 17 to participate in the show and the episode featuring him was shot on October 24. But he declines to reveal the last question.
When asked about the winning Rs five crore, Sushil Kumar says that he has been warned by the KBC 5 bosses against revealing the details of the episode. "I have been told not to speak about it till the episode is telecast on November two. I had two lifelines left which I used to attempt the jackpot question, which was linked to my civil services studies,” the PTI quotes him as saying.
Sushil Kumar, who has won Rs 5 crores on Amitabh Bachchan's game show Kaun Banega Crorepati 5 (KBC 5) has revealed that he wants to become an IAS officer. The 27-year-old computer operator from Bihar is busy preparing for my IAS exams. He says that he has planned to utilise his prize money to attend his basic requirements.
Thrilled Sushil Kumar is yet to come to terms. Talking to the PTI, the KBC 5 jackpot winner said, "This is a different kind of feeling. The happiness is difficult to describe in words. I am still to come to terms with the fact that I have made history. It is a beautiful moment. Participation in KBC has been a life changing experience."
Sushil Kumar is an IAS aspirant and besides working as computer operator, he has been busy preparing for civil service exams, which may be held early next year. Talking about his goal of life, he says, "I plan to utilise my prize money to attend to my basic requirements and save rest of the amount. I want to become an IAS officer. I consider myself a student and am busy preparing for my IAS exams which may be held early next year.”
Wednesday, March 23, 2011
राष्ट्रपति ने पलटे बिहार के गौरवशाली अतीत के पन्ने
बिहार विधान परिषद के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील ने बिहार के गौरवशाली अतीत के पन्ने खूब पलटे। उन्होंने प्राचीन बिहार के वैभव और स्वतंत्रता संग्राम में बिहार के योगदान को अपने संबोधन के केंद्र में रखा। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के उस वक्तव्य का खासतौर पर जिक्र किया, जिसमें पटना की अपनी प्रार्थना सभा में बापू ने कहा था कि 'यह बिहार ही था जिसने मुझे पूरे भारत में पहचान दी। जब मैं चंपारण पहुंचा तो पूरा देश जाग उठा।'
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन का अंत सम्राट अशोक के उस मूलमंत्र से किया। यह वस्तुत: सम्राट की राजाज्ञा थी-'वास्तव में मैं सभी के कल्याण को अपना दायित्व मानता हूं और इसके मूल में है-कठोर परिश्रम तथा कार्य का तुरंत निपटारा। जन कल्याण को बढ़ावा देने से अधिक महान कार्य कोई हो नहीं सकता।'
राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार का इतिहास वास्तव में संस्कृति और सभ्यता का इतिहास है। यहां से भारत के दो बड़े साम्राज्यों का उदय हुआ। सबसे पहले सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी। इसके बाद चंद्रगुप्त प्रथम के समय गुप्त साम्राज्य की स्थापना हुई। गुप्त युग को भारत का स्वर्ण युग कहा गया है। इस युग में साहित्य, विज्ञान, गणित, धर्म तथा दर्शन ने बहुत तरक्की की। कालीदास, वराहमिहिर, विष्णु शर्मा, वात्स्यायन तथा पुष्पदंत जैसे विद्वान इसी युग में हुए। बिहार में स्थित ऐतिहासिक विक्रमशिला तथा नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में विश्व के महानतम विश्वविद्यालय थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार की भूमि ने न केवल देश को बल्कि पूरी दुनिया को महान चिंतक, ज्ञानी और दार्शनिक दिए। बिहार की यह धरती, धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय की भी धरती है। इसी प्राचीन भूमि पर महर्षि बाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर भगवान महावीर वैशाली में पैदा हुए थे। बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भगवान बुद्ध की कार्यस्थली भी बिहार ही थी। पटना में सिखों के 10 वें गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था। इसी तरह बहुत बड़े सूफी संत हजरत मनेरी बिहार से हुए हैं।
स्वतंत्रता संग्राम की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने सबसे पहले बाबू कुंवर सिंह को याद किया। उन्होंने कहा कि कुंवर सिंह का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भारी योगदान है। डा.राजेंद्र प्रसाद गांधी जी के साथ आंदोलन में जुड़े थे। हमारे संविधान सभा के अध्यक्ष व स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
लोकतंत्र की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था में विधायिका को उसके सदस्यों का बहुत जवाबदेह ढंग से काम करना पड़ता है। बिहार की भूमि पर बहुत पहले लिच्छिवियों ने गणतंत्र का बीज बोया था। जहां लोग शासन में सहभागिता करते हुए समृद्धि और सौहार्द से रहते थे।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन का अंत सम्राट अशोक के उस मूलमंत्र से किया। यह वस्तुत: सम्राट की राजाज्ञा थी-'वास्तव में मैं सभी के कल्याण को अपना दायित्व मानता हूं और इसके मूल में है-कठोर परिश्रम तथा कार्य का तुरंत निपटारा। जन कल्याण को बढ़ावा देने से अधिक महान कार्य कोई हो नहीं सकता।'
राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार का इतिहास वास्तव में संस्कृति और सभ्यता का इतिहास है। यहां से भारत के दो बड़े साम्राज्यों का उदय हुआ। सबसे पहले सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी। इसके बाद चंद्रगुप्त प्रथम के समय गुप्त साम्राज्य की स्थापना हुई। गुप्त युग को भारत का स्वर्ण युग कहा गया है। इस युग में साहित्य, विज्ञान, गणित, धर्म तथा दर्शन ने बहुत तरक्की की। कालीदास, वराहमिहिर, विष्णु शर्मा, वात्स्यायन तथा पुष्पदंत जैसे विद्वान इसी युग में हुए। बिहार में स्थित ऐतिहासिक विक्रमशिला तथा नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में विश्व के महानतम विश्वविद्यालय थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार की भूमि ने न केवल देश को बल्कि पूरी दुनिया को महान चिंतक, ज्ञानी और दार्शनिक दिए। बिहार की यह धरती, धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय की भी धरती है। इसी प्राचीन भूमि पर महर्षि बाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर भगवान महावीर वैशाली में पैदा हुए थे। बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भगवान बुद्ध की कार्यस्थली भी बिहार ही थी। पटना में सिखों के 10 वें गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था। इसी तरह बहुत बड़े सूफी संत हजरत मनेरी बिहार से हुए हैं।
स्वतंत्रता संग्राम की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने सबसे पहले बाबू कुंवर सिंह को याद किया। उन्होंने कहा कि कुंवर सिंह का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भारी योगदान है। डा.राजेंद्र प्रसाद गांधी जी के साथ आंदोलन में जुड़े थे। हमारे संविधान सभा के अध्यक्ष व स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
लोकतंत्र की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था में विधायिका को उसके सदस्यों का बहुत जवाबदेह ढंग से काम करना पड़ता है। बिहार की भूमि पर बहुत पहले लिच्छिवियों ने गणतंत्र का बीज बोया था। जहां लोग शासन में सहभागिता करते हुए समृद्धि और सौहार्द से रहते थे।
Sunday, March 6, 2011
Tathagat Avtar Tulsi becomes IIT Mumbai professor
Dr. Tathagat Avtar Tulsi, a well known young student has made news once again! The 22 Patna boy, Tathagat Avtar Tulsi would be teaching to the students of almost his age at the prestigious Mumbai IIT.
Tathagat Avtar Tulsi would be taking classes in IIT Mumbai from next week onwards. Tathagat Avtar Tulsi would teach the physics in Mumbai IIT as an assistant Physics lecturer.
Tathagat Avtar Tulsi, who is just 22 years old, has completed many prestigious educational degrees including Ph.D.
Dr. Tathagat Avtar Tulsi has completed high school just and nine, and completed BSC by 10, and finished MSC by twelve. He then joined IISC Bangalore and has received the Quantum Computing at 21 years old.
Tathagat Avtar Tulsi is very famous among the educational circles of the country.
Tathagat Avtar Tulsi how now becomes an assistant IIT physic professor from IIT Mumbai and he would be teaching students there from next week.
Tathagat Avtar Tulsi was offered a lecturer post at the prestigious Waterloo University in Canada. Turning down offers from many top colleges around, Tathagat Avtar Tulsi finally decided to go to IIT, Mumbai.
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